अहमदाबाद न्यूज डेस्क: 2001 के तेलगी फर्जी स्टांप घोटाले में न्यायालय ने पांच आरोपियों को तीन साल की सजा और 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। ये पांच आरोपी हैं - फाल्गुनी बाबू पटेल, किशोर कुमार पुरुषोत्तम पटेल, प्रशांत नंगप्पा पाटिल, अमजद अली, और शेख जाकिर हुसैन, जो नकली स्टांपों के कारोबार में शामिल थे। इन्हें आपराधिक साजिश, स्टांप जालसाजी, धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज़ बनाने और रखने का दोषी पाया गया है।
यह मामला अहमदाबाद और सूरत के स्टांप विक्रेताओं से जुड़ा हुआ था, जिन्होंने जानबूझकर जाली स्टांप पेपर, कोर्ट फीस स्टांप, और विभिन्न मूल्यवर्ग के शेयर ट्रांसफर स्टांप का उपयोग और बिक्री की थी। जांच के दौरान यह पता चला कि यह घोटाला एक बड़ी धोखाधड़ी का हिस्सा था, जिसमें आरोपी लाइसेंसशुदा और बिना लाइसेंस वाले विक्रेता शामिल थे।
2001 में इस घोटाले का खुलासा हुआ था, और इसे पहले गुजरात पुलिस के सीआईडी अपराध विभाग द्वारा जांचा गया था। बाद में इसे सीबीआई को सौंप दिया गया था। मुख्य आरोपी अब्दुल करीम तेलगी, जो बेलगाम (कर्नाटका) के रहने वाले थे, कई मामलों में आरोपी थे, और 2017 में उनकी मृत्यु हो गई।
घोटाले के तहत, सूरत और अहमदाबाद में अधिकारियों ने छापेमारी की, जिसमें बड़ी संख्या में फर्जी स्टांप जब्त किए गए थे। इस ऑपरेशन का खुलासा 'सदगुरु सर्विसेज' और 'सहाय सर्विसेज' नामक दो कार्यालयों के माध्यम से हुआ था, जो जाली स्टांपों के प्रसार में शामिल थे।
इस मामले में 16 आरोपियों में से दो की मृत्यु मुकदमे के दौरान हो गई, जबकि नौ अन्य को पहले दोषी ठहराया जा चुका था। अगस्त 2008 में, पांच आरोपियों को पांच साल की सजा और 25,000 रुपये जुर्माना हुआ था। मार्च 2009 में दो अन्य आरोपियों को 7 साल की सजा और 35,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई थी।
साथ ही, अगस्त 2010 में कोर्ट ने राजू नायक को 2 साल की सजा सुनाई थी। यह मामला एक बड़ी धोखाधड़ी का हिस्सा था, जिसने पूरे देश में स्टांप जालसाजी के गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ।